इच्छापूर्ति विशेष त्रिलोचन उपासना - Icchapurti Vishesh Trilochan Upasana ( Shiv Sadhana )
पौराणिक कथा
यह कहानी पुराणों में लिखी गई है ;जो सत्य घटनापर आधारित है। एक बार श्री हरी विष्णु पर बहुत बड़ा संकट आया था। जिसका कोई हल नहीं मिल रहा था। तब उन्होंने यह त्रिलोचन उपासना की थी । तब सावन का महिना था। और सावन के महीने में पहले सोमवार से यह साधना शुरू की थी । उसके लिए उन्होंने कमल पुष्प (फूल) का उपयोग किया था। उस समय जब उनकी त्रिलोचन उपासना चल रही थी तब शिवजीने उनकी परीक्षा ली थी। जब अंतिम फूल शिवजी पर चढ़ना था तब फूल खत्म हो गए। और शिवजीने ऐसे प्रयोजन किया था की श्री हरी विष्णूको कोई कमल का पुष्प ना मिल पाए। नारायण फूल ढूंढते ढूँढ़ते थक गए। किन्तु उनको फूल उपलब्ध नहीं हो सकें और साधना तो पूर्ण करनीही थी। तब उन्होंने थोडासा सोच विचार किया। और श्रीहरी नारायण का एक नाम कमलनयन भी है। तो उन्होंने अपना एक नेत्र (आँख) निकालके शिवजी पर चढ़ा और अपनी उपासना पूर्ण की। जैसेही उन्होंने यह साधना पूर्ण की; उसी समय शिवजी साक्षात प्रकट हुए। और उन्होंने नारायणको सुदर्शन चक्र वरदान रूपमें भेट किया। और उसी सुदर्शन चक्र की वजहसे नारायण पर जो संकट आया हुया था वह संकट चला गया। उनकी जीत हुयी और वह एक चक्रधारी के नामसे प्रचलित हुये ।
उसके बाद यही त्रिलोचन उपासना स्वयम् भगवान श्री रामने अपने राम अवतारमें की। जब उन्हे रावण पर विजय प्राप्त करनी थी तब उन्होंने यह साधना रामेश्वरम मे की। आज जो बारह ज्योतिर्लिंगोंमें रामेश्वर नामसे प्रसिद्ध है। वही रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना और त्रिलोचन उपासनाभगवान श्री रामने की थी। उस समय भी जैसे नारायण की परीक्षा ली गई थी; वैसे श्रीराम की भी शिवजीने परीक्षा ली थी। और श्रीरामका भी एक नाम राजीवलोचन है। तो उन्होंने अपनी त्रिलोचन उपासनामें कमल पुष्पों का उपयोग किया था। उन्होंने उपासना में अंतिम फूल अपनी आँख निकालके शिवजी पर चढ़ाया था। अपनी साधना पूरी की थी। और उस उपासना का फल तो सब जानते ही है की रावण पर प्रभु श्री रामने विजय प्राप्त की। तथा जिस शिवलिंग पर उन्होंने पूजन किया वह आज युगों युगोंसे बारह ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हुया है। और आज भी सर्वत्र उनकी पूजा की जाती है।
ऐसे यह त्रिलोचन उपासनाजब कोई मनोवांछित फल प्राप्ति तथा इच्छाप्राप्ति के लिए की जाती है। विपदा, विपत्ती, संकट आए तो यह साधना की जाती है। जैसे पुरानोमें सोलह सोमवार का व्रत है वैसेही यह त्रिलोचन उपासनाका भी अनन्य साधारण महत्त्व है। जैसे श्री हरी विष्णु को शिव जी प्रसन्न हुए वैसे ही सबको हो ये कामना के साथ इस व्रत की कथा समाप्त करते है। और आपको इसका पूर्ण विधान बताते है। ॐ नमः शिवाय
त्रिलोचन उपासना के लाभ – उद्देश प्राप्ति
1. सावन के महिनेमें त्रिलोचन उपासनाकरनेसे मनुष्य की जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है।
2. त्रिलोचन उपासना करनेसे असाध्य रोग ठीक होतें हैं ।
3. त्रिलोचन उपासना करनेसे मनुष्यका भाग्योदय होता है।
4. त्रिलोचन उपासना करनेसे केवल शुभ फलही प्राप्त होते हैं।
5. त्रिलोचन उपासना से मनुष्यको अगर कोई दैवीय दोष हो तो, शाप आदिसे भी मुक्ति मिलती है।
6. त्रिलोचन उपासना से मंगल दोष, कालसर्प दोष भी निकल जाते है।
7. त्रिलोचन उपासना करनेसे अश्वमेघ यज्ञ करनेका फल मिलता है।
8. सावन के महीनेमें यह साधना करनेसे सारी साधनाओंका फल अपार बढ़ जाता है।
9. त्रिलोचन उपासना से मनुष्य को जीवन मृत्यु के काल चक्र से मुक्ति मिलती है।
10. त्रिलोचन उपासना करनेसे मनुष्य को हमेशा के लिए शिव लोक प्राप्त हो जाता है।
11. अर्थात कैलाश पर रहने की अनुमति स्वयं शिवजी देंते है।
12. ऐसा यह त्रिलोचन उपासना का अनन्य साधारण महत्त्व है । यह त्रिलोचन उपासना सावन के पहले सोमवार से किया जाता है।
13. त्रिलोचन उपासना से मनुष्य को सारे पापो से मुक्ति तथा वैवाहिक जीवन रिश्ते नाते स्वास्थ्य एवं समृद्धि प्राप्त होती है. चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है।
14. त्रिलोचन उपासना अत्यंत सरल एवं सात्विक होती है।
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साधना के नियम
सबसे पहले सोमवार के दिन 2 घंटे का मौन व्रत है।
सोमवार के दिन सफेद वस्त्र का ही पहनावा होना चाहिए।
व्रत के समय केवल फल आहार करना है, जैसे उबले हुए आलू।
इस अनुष्ठान में भूमि शयन करना होता है। (किसी ऊंची जगह पर निद्रा नहीं करनी है)
परनिंदा वर्ज है यानि किसी की भी निंदा(बुराई करना) या किसी को भी अपशब्द नहीं बोलना है।
ऊंची आवाज मे बात न करे।
घर मे सभी से मधुर शब्दों मे वार्तालाप करे जितना हो सके मौन धारण करे
माता और पिता को प्रणाम करे और विवादों से बचे
जितना हो सके शिव जी का चिंतन और ॐ नमः शिवाय का जप मन मे करते रहे
सोमवार के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है।
सोमवार के दिन फल आहार करे, यदि कोई आरोग्य संबंधी समस्या हो तो भोजन कर सकते है व्रत अनिवार्य नहीं है।
मांसाहार, मद्यपान पूर्णतः वर्ज है, यदि इस काल मे आप मांसाहार करते है तो आपकी उपासना खंडित मानी जाएगी।
पूजा साहित्य
सफेद वस्त्र, शिवलिंग, भस्म, रुद्राक्ष माला, बेल पत्र , सफेद फूल, पंचामृत, नारियल -1, कोई भी फल, एक सुपारी, कपास के वस्त्र, कपूर, गाय के घी का दीपक, धूप, नैवेद्य के लिए दूध -शक्कर, श्रीखंड या सफेद मिठाई, सफेद आसन (शाल )
त्रिलोचन उपासना विधि
सोमवार के दिन आपको जल्दी उठकर पानी मे एक चम्मच दूध मिलाकर स्नान करना है। मन मे ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। ये पूजा आप प्रातः काल अथवा संध्याकाल मे कर सकते है। इस दिन पूजा आरंभ करने से पहले आपके निकट जो भी शिवालय या मंदिर हो वहा जाकर शिव जी को बेल पत्र चढ़ाकर न्योता देकर आना है की ‘हे महादेव, आज के दिन आप हमारे घर पधारे और हमारी पूजा स्वीकार करे’। ऐसा करने से शिव जी आपकी पूजा स्वयं स्वीकार करने आपके घर पधारेंगे और आपको आशीर्वाद देंगे। घर आकर पूजा की सभी सामग्री साथ लेकर बैठे ताकि एक बार पूजन मे बैठने पर किसी चीज के लिए उठना न पड़े। और पूजा की शुरुवात ऐसे करे - एक चौरंग(लकडी का बाजोट) लेके उसपर श्वेत(सफेद) वस्त्र बिछा दे, वस्त्र नया होना चाहिए। उसपर रेत, मिट्टी (रेती) का शिवलिंग तैयार करना है। उसके लिए रेत को पहले पानी से स्वच्छ कर लें। जल से अभिषेक पुष्प (फूल) से करे। और अगर घर मे शिवलिंग पहले से है तो उसिपर अभिषेक कर सकते है। इस साधना में आपको जिस किसी कामना की इच्छा है वह संकल्प लेके फिर उसकी पूजा करनी है। पूजा के लिए आपको पूरब या उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बैठना है। दिए गए मंत्र को बोलते हुए नीचे दी हुई किसी भी वस्तु को शिवलिंग पर मंत्र बोलते हुए चढ़ाना है।
शिव मंत्र
ॐ हंस सोहं परम शिवाय नमः
नीचे दी हुई किसी भी वस्तु को शिवलिंग पर शिव मंत्र बोलते हुए चढ़ाना है।
विद्या प्राप्ति हेतु – 21 इलायची
धन प्राप्ति हेतु – पिस्ता, बादाम, मिश्री दाना (21)
स्वास्थ्य हेतु – लॉंग , बादाम (21)
प्रतिष्ठा हेतु – काजू , इलायची (21)
शादी हेतु – ( हल्दी की गाँठ और सुपारी (21)
नौकरी हेतु – चावल, मिश्री दाना, चाँदी के बेलपत्र (21)
शिव कृपा प्राप्ति हेतु – बेलपत्र , सफेद फूल(21)
कौटुंबिक सौख्य – जल (पनि)दूध और 2 घंटे का मौन व्रत
शत्रू बाधा शांत करने हेतु – गन्ने का रस लेके शिवअभिषेक
विजय प्राप्ति हेतु – पंचामृत अभिषेक, सफेद पुष्प, काजू, चावल
चारों पुरुषारथों की प्राप्ति हेतु – कमल पुष्प (21)
यह व्रत आपको 31 सोमवार करना है।
हर सोमवार ये त्रिलोचन उपासना पूर्ण होने के बाद नीचे दिए गए सहस्र नामावली का पाठ एक ही जगह पर बैठ कर करना है। इस प्रकार आपकी श्रावण विशेष त्रिलोचन उपासना विधि सम्पन्न होती है।
उद्यापन की विधि
जिस सोमवार को 31 सोमवार पूर्ण हो जाएंगे उस दिन आपको किसी शिव मंदिर मे जाकर नंदी को भोग लगाए, गाय को अन्नदान करे, और मंदिर मे अपनी इच्छानुसार दाल-चावल-मिष्टान्न-फल का यथाशक्ति दान करे। यदि किसी मंदिर का निर्माण हो रहा है, गोशाला निर्माण हो रहा है तो उस निर्माण कार्य मे अपना योगदान अवश्य दे। उद्यापन के दिन इस व्रत को अन्य लोगों को करने के लिए प्रेरित करे।
Icchapurti Vishesh Trilochan Upasana ( Shiv Sadhana )
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