श्रीगणेश दूर्वार्चन उपासना | Sri Ganesh Durvarchan Upasana, ganesh mantra sadhana
श्री गणेश को सभी देवताओ से पहले पूजा जाता है। श्रीगणेश बुद्धि, सकारात्मकता, मांगल्य और संपन्नता के प्रतीक है। वही 14 विद्या और 64 कलाओ के स्वामी है। श्रीगणेश अकेले ही मनुष्य की सभी मनोकामना पूर्ति करने मे सक्षम है। श्रीगणेश सभी के हृदय मे वास करते है। यदि किसिको नौकरी, पारिवारिक सौख्य, धन, संपत्ति, संतति, कीर्ति, यश, चाहिए तो उन्हे श्री गणेश जी की उपासना करनी ही चाहिए। आज जिस उपासना को यहा दिया जा रही है वो श्री गणेश की सबसे आसान और जल्दी फलीभूत होने वाली चमत्कारिक उपासना है।
साहित्य - लाल वस्त्र, दूर्वा, जनेऊ (जानव), अक्षता(चावल बिना तुटे), लकडी का बाजोट (पाट), लाल फूल, सुपारी, तेल या घी का दीपक, धूप, नैवेद्य - मोदक, लड्डू या गुड नरियल. कलश और नारियल, आम के पेड के पत्ते या सुपारी का पान, 5 प्रकार के फल, गणेश की बैठी हुई मूर्ती अगर मूर्ति न हो तो सुपारी भी रख सकते है, पंचामृत - दूध + दही + शहद + शक्कर + गाय का घी।
विधि - ये उपासना आप गणेश नवरात्रि जो की साल मे दो बार आती है, उसके अलावा अंगारक चतुर्थी के दिन भी कर सकते है। या जब भी नवरात्रि हो उस समय अगर ये श्री गणेश उपासना कोई करता है तो उसे इसका अधिक फल मिलता है। अगर आपकी कोई मनोकामना अधूरी रह गई है तो इसे महीने के किसी भी चतुर्थी के दिन कर सकते है। यह उपासना आप एक दिन मे या 9 दिन मे भी संकल्प के साथ कर सकते है।
पूजा कैसे स्थापित करे? - सर्वप्रथम रंगोली से स्वस्तिक निकाले। उसे कुमकुम उसपर छिड़क दे। उसपर लकड़ी का बाजोट रख दे (पाट) उसपर लाल वस्त्र फैलाए। एक कटोरी बिना टूटे चावल की ढेरी उसपर बनाए। उस चावल पर कलश स्थापित करे। उस कलश मे थोड़ा पानी, एक सुपारी, एक रुपये का कॉइन, कुमकुम, हल्दी, थोड़ी अक्षता डाले। उसपर आम के पेड के पत्ते या सुपारी का पान के पाँच पत्ते रख कर उसपर एक नारियल रखे। इसप्रकार आप कलश स्थापित कर दिया है। इस कलश के बाजू मे एक छोटी चावल की ढेरी लगाकर उसपर गणेश की मूर्ति या सुपारी रख दे। इसप्रकार आपने श्री गणेश को स्थापित कर दिया है। अगर आपके पास गणेश की कोई प्रतिमा है तो आप बाजोट पर वो भी रख सकते है।
अगर आपके पास धातु की मूर्ति है तो आप अभिषेक करने हेतु प्रयोग कर सकते है, जिसके पास धातु की मूर्ति नहीं है या मूर्ति है ही नहीं वो लोग सुपारी को श्रीगणेश स्वरूप मानकर उसका अभिषेक कर सकते है ये शास्त्रोंचित है।
पूजन कैसे करे -
1) सर्वप्रथम खुदकों पवित्र कर ले, बाये(left) हाथ मे जल लेकर उसे दाए(right) हाँथ से ढककर नीचे दिया मंत्र बोले और वो जल खुद पर छिड़क ले।
मंत्र - अपवित्रों पवित्रों वा सर्वांगस्था गतोपी वा। य स्मरेत पुण्डरीकाक्षम स: बाह्याभ्यंतरम सूचि:॥
2) तीन बार दाए हाथ मे जल लेकर उसे ग्रहण करे। चौथी बार जल नीचे छोड़ दे।
मंत्र - 1) ॐ केशवाय नमः 2) ॐ माधवाय नमः 3) ॐ नारायणाय नमः 4) ॐ गोविंदाय नमः
3) खुदकों गंध या तिलक लगाए
4) श्री गणेश का ध्यान करे
गणेश ध्यान मंत्र - वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटी समप्रभ। निर्विघ्नम कुरुमे देव सर्वकार्यशु सर्वदा॥
5) गुरु का ध्यान करे
गुरु ध्यान मंत्र - गुरुब्रह्मा गुरुविष्णु गुरुदेवो: महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नमः
6) हाथ मे जल, अक्षता, कुमकुम लेकर अपनी मनोकामना या संकल्प बोले -
संकल्प - मेरा नाम ------ पिता का नाम ----- गुरु का नाम ------गोत्र -----दिनांक /तिथि -----इस दिन --------मेरी अमुक मनोकामना पूर्ण होने हेतु ये श्रीगणेश दूर्वार्चन उपासना कर रहा/रही हु। (जिसको अपना गोत्र मालूम नहीं है वो अपना गोत्र कश्यप बोले)
7) एक थाली मे सुपारी लेकर उसपर जल से अभिषेक करे.
श्री गणेश मंत्र - ॐ गं गणपतये नमः 108 बार (जिन्हे अथर्वशीर्ष आता है वो अथर्वशीर्ष बोलते हुए अभिषेक कर सकते है)
8) पंचामृत से सुपारी को स्नान कराए, उसके बाद फिरसे जल से सुपारी को धोकर अच्छे वस्त्र से सुपारी को पोंछकर चावल की ढेरी पर स्थापित करे।
9) सुपारी को कुमकुम, हल्दी और अक्षता अर्पण करे।
10) दीपक प्रज्वलित करे और धूप जलाए।
11) लड्डू, मोदक और फल भोग मे चढ़ाए।
12) इस प्रकार आपका पूजन सम्पन्न हो गया है अब आप नीचे दिए स्तोत्र का पाठ 21 बार पाठ करे। इस स्तोत्र को एक बार पाठ करके दूर्वा सुपारी पर अर्पण करे। अगर आपके पास दूर्वा नहीं है तो कोई भी लाल फूल अर्पण कर सकते है।
शीघ्र फलदायी श्री गणेश स्तोत्र
श्री गणेशाय नमः ।
[SRI GANESHAAY NAMAH:]
ॐ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने । दुष्टारिष्टविनाशाय पराय परमात्मने ॥ १॥
[OM NAMO VIGHNRAAJAAY SARVA SOUKHYA PRADAYINE
DUSHTA RISHT VINASHAAY PARAAY PARMAATMANE]
लम्बोदरं महावीर्यं नागयज्ञोपशोभितम् । अर्धचन्द्रधरं देवं विघ्नव्यूहविनाशनम् ॥ २॥
[LAMBODARAM MAHAAVIRYAM NAAG YAGNO PASHOBHITAM
ARDH CHANDRA DHARAM DEVAM VIGHN VYUH VINASHANAM]
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्बाय नमो नमः । सर्वसिद्धिप्रदोऽसि त्वं सिद्धिबुद्धिप्रदो भव ॥ ३॥
[OM HRAAM HREEM HRUM HRAIM HROUM HRAH HERAMBAAY NAMO NAMAH
SARV SIDDHI PRADOSI TVAM SIDDHI BUDDHI PRADO BHAVA]
चिन्तितार्थप्रदस्त्वं हि सततं मोदकप्रियः । सिन्दूरारुणवस्त्रैश्च पूजितो वरदायकः ॥ ४॥
[CHINTI TAARTH PRADASTVAM HI SATATAM MODAK PRIYAH
SINDURARUN VASTRAISCHA PUJITO VAR DAAYAKAH]
इदं गणपतिस्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः । तस्य देहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मीर्न मुञ्चति ॥ ५॥
[IDAM GANPATI STOTRAM YAH PATHEDBHAKTI MAANNARAH
TASYA DEHAM CH GEHAM CH SWAYAM LAKSHMIRN MUCHCHYATI]
इति श्रीगणपतिस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ।
[ITI SRI GANPATISTOTRAM SAMPURNAM]
13) स्तोत्र पाठ 21 बार होने के बाद 51/101/151/251 आपके इच्छानुसार दक्षिणा श्री गणेश के चरणों मे अर्पित करे। और सिंदूर लाल चढ़ायो / सुखकर्ता ये आरती बोले। ये क्रम अगर आप एक दिवसीय उपासना कर रहे है तो एक दिन और नौ दिन की उपासना कर रहे है तो 9 दिन करना है।
14) अगर एक दिन की उपासना कर रहे है तो दूसरे दिन पूजा उठा सकते है अगर 9 दिन की उपासना कर रहे है तो 10 वे दिन पूजा उठाए. जो भी निर्माल्य जमा हो वो बहते पानी मे छोड़ दे। और जमा हुई दक्षिणा के फल लेकर किसी मंदिर मे बाँट दे या किसी योग्य सेवाभावी संस्था को दान कर दे।
ganesh mantra sadhana, श्रीगणेश दूर्वार्चन उपासना | Sri Ganesh Durvarchan Upasana
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